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बेटी गुडियां से खेलते खेलते, न जाने कब बडी हो ग

बेटी   गुडियां से खेलते खेलते, 
न जाने कब बडी हो गई..
वो उगलीं पकड़ कर चलती थी,
अब....खुद के पांवो पर खडी़ हो गई..
हंसाया करती थी वो मुझको,
अाज आंखे उसके लिए रो गई..
दुल्हन बनी थी मेरी बिटीयां,
आज उसकी विदाई हो गई.. बेटी..
बेटी   गुडियां से खेलते खेलते, 
न जाने कब बडी हो गई..
वो उगलीं पकड़ कर चलती थी,
अब....खुद के पांवो पर खडी़ हो गई..
हंसाया करती थी वो मुझको,
अाज आंखे उसके लिए रो गई..
दुल्हन बनी थी मेरी बिटीयां,
आज उसकी विदाई हो गई.. बेटी..