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बंजर कहा आज उसने मुझे, मेरी जमीन कभी हरी नही हो सक

बंजर कहा आज उसने मुझे,
मेरी जमीन कभी हरी नही हो सकती।।
अपमान का घूंट पिला जिंदा रखा मुझे
क्योंकि हरियाली ने मुझे महकाना था मुझे,
खुशियों का मौसम जिंदगी में आना था मेरे।।
देखो आज मैं मां बन गई ,
बंजर जमीं से हरा भरा पेड़ बन गई।।
एक फूल के खिलने से मेरी कोख हरी हो गई।
देखो मैं बंजर जमीं से हरी हरी बगिया बन गई।।

©aditi jain aditi jain
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