किताबें किताबों के पन्ने पलट कर सोचता हूं यूं पलट जाए मेरी जिंदगी तो क्या बात है ख्वाबों में तो हर रोज मिलता है मुझको जो हकीकत में मिल जाए तो क्या बात है तारीफ करके तो हर कोई ले जाएगा दिल मेरा जो कोई बातों से ले जाए तो क्या बात है जो बात एक शरीफ की शराफत में ना हो वही बात एक शराबी कह जाए तो क्या बात है अपने जीते जी तो खुशियां दूंगा मैं सबको जो किसी को मेरी मौत पर खुशी मिल जाए तो क्या बात है किताबों के पन्ने पलटकर सोचता हूं यूं पलट जाए मेरी जिंदगी तो क्या बात है तेरे संग यारा नीरज चौधरी किताबों के पन्ने पलट कर सोचता