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अब कुछ ही कदमों पर है वो दूरी,जहां ना समझे कोई मजब

अब कुछ ही कदमों पर है वो दूरी,जहां ना समझे कोई मजबूरी,
यहां साथ की कभी ना कोई बात हुई, यहां मौत पे भी सियासत हुई,
हर वो सवाल पर हुई बवाल जहां वो खुद को सही ना पा सके,
यहां डॉक्टर भी हड़ताल करें,यहां नव शिशु की जान घूंटे,
यहां अपना रंग रंगने को वो काला रंग भी प्रचार करें,
मंदिर मस्जिद का खेल बनाकर अब वो राष्ट्रवाद भी निभाने लगे... #politics #poetry #writer
अब कुछ ही कदमों पर है वो दूरी,जहां ना समझे कोई मजबूरी,
यहां साथ की कभी ना कोई बात हुई, यहां मौत पे भी सियासत हुई,
हर वो सवाल पर हुई बवाल जहां वो खुद को सही ना पा सके,
यहां डॉक्टर भी हड़ताल करें,यहां नव शिशु की जान घूंटे,
यहां अपना रंग रंगने को वो काला रंग भी प्रचार करें,
मंदिर मस्जिद का खेल बनाकर अब वो राष्ट्रवाद भी निभाने लगे... #politics #poetry #writer