रहते एक दूसरे के ही सामने एक ही नदी के दो किनारे मिल ना सकेंगे कभी ये जानते बहती नदी उनके प्रेम के सहारे तक़दीर भी क्या गुल खिलाती है जो मिल नहीं सकता हमको उससे ही हमें मोहब्बत कराती है जीवन का नजरिया हमें बताती है हम दोनों के बीच बहती है प्रेम की धारा फ़िर भी हम दोनों हैं एक दूजे से जुदा जुदा मिलेंगे ज़रूर एक दिन मौत के संग या फ़िर साथ बहती हुई जीवन की धारा ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1035 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।