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घर-घर, दीप-दीप, रौशनी का बसेरा है, मेरे राष्ट्र मे

घर-घर, दीप-दीप, रौशनी का बसेरा है,
मेरे राष्ट्र में देखो, आज रैन में सवेरा है,
जग डूबा जब तमस में,अमावस की रात को,
मेरे भारत में खोजो ज़रा,कहाँ अंधेरा है।। प्रिय परिवारजनों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।

लेखन वास्तव में उजाले को ही समर्पित होता है। इसी भाव के साथ लिखें एक कविता उजाले के नाम।

#शुभदीपावली 
#collab 
#yqdidi   #YourQuoteAndMine
Collaborating with  YourQuote Didi
घर-घर, दीप-दीप, रौशनी का बसेरा है,
मेरे राष्ट्र में देखो, आज रैन में सवेरा है,
जग डूबा जब तमस में,अमावस की रात को,
मेरे भारत में खोजो ज़रा,कहाँ अंधेरा है।। प्रिय परिवारजनों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।

लेखन वास्तव में उजाले को ही समर्पित होता है। इसी भाव के साथ लिखें एक कविता उजाले के नाम।

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