कविताएं कुण्ठित होती तो क्या मन के भाव दिखाई देते ? पढ़कर सुनकर पाठक श्रोता फ़िर न ऐसे मुग्ध हो जाता ! अगर कवि पूर्वाग्रह करता तो क्या कोई ग्रंथ बनाता ? इतिहासों के अमिट फ़लक पर फ़िर ना वह अंकित हो पाता ! 💕🙏#सुप्रभातम💕🙏 : सूरज अगर स्वार्थी होता तो क्या धूप हमें वो देता ? सुबह सुबह दरिया में जाकर अपने दिल की आग बुझाता ! अगर पतंगा कपटी होता तो क्या प्रेम अमर हो जाता ? लहर लहर कर मस्त मगन हो फ़िर ना अपने पंख जलाता ! : #पंछी