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शाम उदासी की मूरत है शाम प्रतिध्वनि है निराशा की ज

शाम उदासी की मूरत है
शाम प्रतिध्वनि है निराशा की
ज्यों ही दिन बढ़ता है शाम की ओर
मन भी चलता है थकान की ओर
जैसे-जैसे गहराती है शाम चहुँ ओर
वैसे-वैसे उदासी फैलाती है दामन सब ओर
हो जाता है सुबह का उत्साह अब क्षीण
हो जाता है तन और मन गहन उदासी में लीन
उदासी दिन भर की आपाधापी की...
उदासी असफल योजनाओं की...
उदासी अगली सुबह की भागदौड़ की...!
हर शाम उदासी की मूरत है...
थके मन की प्रति-ध्वनि है...!
मुनेश शर्मा (मेरे✍️)🌈🌈🌈


 सर्दियों की ये शामें उदासी भरी...
#शामकीउदासी #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
शाम उदासी की मूरत है
शाम प्रतिध्वनि है निराशा की
ज्यों ही दिन बढ़ता है शाम की ओर
मन भी चलता है थकान की ओर
जैसे-जैसे गहराती है शाम चहुँ ओर
वैसे-वैसे उदासी फैलाती है दामन सब ओर
हो जाता है सुबह का उत्साह अब क्षीण
हो जाता है तन और मन गहन उदासी में लीन
उदासी दिन भर की आपाधापी की...
उदासी असफल योजनाओं की...
उदासी अगली सुबह की भागदौड़ की...!
हर शाम उदासी की मूरत है...
थके मन की प्रति-ध्वनि है...!
मुनेश शर्मा (मेरे✍️)🌈🌈🌈


 सर्दियों की ये शामें उदासी भरी...
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