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तुम ये बताओ क्यों हर मौसम की तुम ही में, जान अटकी

तुम ये बताओ क्यों
हर मौसम की तुम ही में,
जान अटकी है,
डोर साँस की फँसी हुई है

रुपिया, सोना, हीरे, नज़्में,
चाँद भी बेकार
तुल जाऊँ पर...
गर पलड़े में तेरी हँसी है Beloved of the seasons 2
तुम ये बताओ क्यों
हर मौसम की तुम ही में,
जान अटकी है,
डोर साँस की फँसी हुई है

रुपिया, सोना, हीरे, नज़्में,
चाँद भी बेकार
तुल जाऊँ पर...
गर पलड़े में तेरी हँसी है Beloved of the seasons 2