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अपनी ही सोच का नाम बड़ा रखिए। काम कोई भी हो इंतजाम

अपनी ही सोच का नाम बड़ा रखिए।
काम कोई भी हो इंतजाम बड़ा रखिए।।

कोई भी हो कारण टकराने का यहां।
हरेक अंदाज का अंजाम बड़ा रखिए।।

कीमत नहीं होती कोई भी अदाओं की।
अपनी हर शौक का दाम बड़ा रखिए।।

कद नहीं होते दबदबे के हकीकत में।
इलाकों में अपना मुकाम बड़ा रखिए।।

रुतबा तुम्हारे ही हाथों से है बरकरार।
खुद से ही है सब खुद काम बड़ा रखिए।।

संभालने को सब पर है अपनी रियासत।
खुद की सियासत का पैगाम बड़ा रखिए।।
~ प्रेम शंकर "नूरपुरिया"
मौलिक स्वरचित

©प्रेम शंकर नाम बड़ा रखिए
#Love
अपनी ही सोच का नाम बड़ा रखिए।
काम कोई भी हो इंतजाम बड़ा रखिए।।

कोई भी हो कारण टकराने का यहां।
हरेक अंदाज का अंजाम बड़ा रखिए।।

कीमत नहीं होती कोई भी अदाओं की।
अपनी हर शौक का दाम बड़ा रखिए।।

कद नहीं होते दबदबे के हकीकत में।
इलाकों में अपना मुकाम बड़ा रखिए।।

रुतबा तुम्हारे ही हाथों से है बरकरार।
खुद से ही है सब खुद काम बड़ा रखिए।।

संभालने को सब पर है अपनी रियासत।
खुद की सियासत का पैगाम बड़ा रखिए।।
~ प्रेम शंकर "नूरपुरिया"
मौलिक स्वरचित

©प्रेम शंकर नाम बड़ा रखिए
#Love