याद आता है रामानंद सागर के श्री कृष्ण धारावाहिक का महर्षि उत्तंग और कृष्ण की भेंट का दृश्य- दोषी कृष्ण उत्तंग की दृष्टि में महाभारत न रोक पाने के और शाप देने को उद्यत उत्तंग ,तब कहा कृष्ण ने सीधे-सीधे और सटीक- मुझसे,मेरी इच्छा से शाप फलित होता , मैं तो सबसे परे । क्यूं व्यर्थ तुम नष्ट करते तपोबल , हो जाएगा शून्य पुण्य वह, हो जायेगी क्षीण वो शक्ति । मैं तो बस हूंगा, हूं,निष्प्रभाव । रही गांधारी की बात तो, शाप फलित होगा- मैं चाहूं, जानूं कल क्या होना और हमारे परिजन कैसे और क्या पायें परिणाम ! निष्कर्ष :--- बस गांधी को कोसते जन से है कहना- मत उत्तंग बनो, कृष्ण-चिरंतन हैं गांधी होते जाते सनातन और बधिक का नाम भुलेगा पूर्व जन्म का बाली वानर ! ©BANDHETIYA OFFICIAL कृष्ण-बधिक ! अधिक से अधिक पूर्व जन्म का बाली-वानर! #BookLife