*📝“सुविचार"*📚 ✨ *4/9/2021*🖋️ 🖊️ *“शनिवार”*📘 हर एक “मनुष्य” की अपनी अपनी “सोच” होती है, अपनी अपनी “विचारधारा” होती है, जब “अनेक विचारधाराएं” एक साथ आ जाती है, तो होता है “विवाद”, अब “विवाद के समय” कभी भी देखिए कि “दो व्यक्ति” इनके बीच में “विवाद” हो रहा है,तो ये सदैव “प्रयास” करते है कि ये “सिद्ध” कर सके कि सामने वाले “व्यक्ति की सोच”, उसकी “विचारधारा”,उसका ये कथन “अनुचित” है, अब ये ही यदि “प्रेमपूर्वक” रूप से समझने का “प्रयास” करते है,कि सामने वाले व्यक्ति की “बात”, उसकी “मंशा” क्या है? उसमें “उचित” क्या है? ये हम “समझ” पाते है एक और है ये “विवाद” जो आपको सामने वाले व्यक्ति को “अनुचित सिद्ध” करने पर “विवश” करता है, और एक और है “प्रेम” जो सामने वाले का “तर्क” समझने पर “विवश” करता है, उसमें “उचित” क्या है ये समझने पर “विवश” करता है,उसे “महानता” की ओर ले जाने पर विवश करता है,तो इस “विवाद” को “त्याग” दिजिए और “प्रेम” को अपनाए... *🖋️*अतुल शर्मा✨* ©Atul Sharma *📝“सुविचार"*📚 ✨ *4/9/2021*🖋️ 🖊️ *“शनिवार”*📘 #“सोच” #“विचारधारा”