एक दिन जब ये साँसे चलते चलते रुक जाएंगी लड़खड़ाते ये कदम कहीं थम से जायेंगे खुली आंखें हमेशा के लिये बन्द हो जाएंगी बहता रक्त शरीर में जम जाएगा कैसा होगा वक्त वो क्या मंजर अजीब होगा ? हो पाएंगी बांते कुछ पल अपने आप से या अचानक ही मौत से सामना होगा अभी तो ये सुकून की जिंदगी है फिर कुछ वक्त बाद कटता सफर बन जाएगा और ये हस्ट पुस्ट बदन जब हांड मांस का पुतला बन कर रह जाएगा आएगा तब वक्त वो जब ये शरीर रूह से जुदा हो जाएगा और तू नींद मुककम्मल सो जाएगा ।।। ( प्रशांत ) मौत #apoem on life #reality of life