Nojoto: Largest Storytelling Platform

भारतवर्ष जहां सुबह-सबेरे सोने की चिड़िया मधुर संग

भारतवर्ष

जहां सुबह-सबेरे सोने की चिड़िया मधुर संगीत सुनाती है
जहां खेतो की सोंधी मिट्टी की खुशबु घर-आँगन महकाती है
जहां आज भी अमराई की छाव में कुछ लोग दिन बिताते हैं
इस जहाँ में एक देश है ऐसा, जो हर देश से न्यारा-प्यारा है
पूछे जब कोई तब बतला देना, वो महान भारतवर्ष हमारा है ।।

जहां आज भी नर में पूजे जाते राम और नारी में माता सीता है
हो अपार उपदेशों का भंडार जहां और हर घर में रहती गीता है
सुधा की धारा बहा रही हो नदियाँ, लहलहाती खेत खलिहान
जहां हो अवतरित देवतागण हर युग में हम सबको सवांरा है
पूछे जब कोई तब बतला देना, वो महान भारतवर्ष हमारा है ।।

जहां हर दिल में प्रेम हो बसता और बातों से अमृत बरसता
सुंदर-सुंदर मधुर सी बोली, जहां राम भजन हर घर में बजता
नहीं किसी से वैर भावना, जहां संस्कृति सभ्यता कायम हो
जहां गंगा-जमुनी हो तहज़ीब हमारी और पैगाम भाईचारा है
पूछे जब कोई तब बतला देना, वो महान भारतवर्ष हमारा है ।।

जहां सुनाती दादी-नानी आज भी किस्से गीता और रामायण की
जहां फैली हो गांवों में हरियाली, दिखती हो मेहनत किसान की
शीश झुका शत्-शत् नमन् करता हूँ मैं अपनी मातृभूमि को
हो ज्ञात इस दुनिया वालों को इस संसार में जो एक ध्रुव तारा है
पूछे जब कोई तब बतला देना, वो महान भारतवर्ष हमारा है ।।

©कवि ऋषि रंजन #Letter_To_Republic_India भारतवर्ष
भारतवर्ष

जहां सुबह-सबेरे सोने की चिड़िया मधुर संगीत सुनाती है
जहां खेतो की सोंधी मिट्टी की खुशबु घर-आँगन महकाती है
जहां आज भी अमराई की छाव में कुछ लोग दिन बिताते हैं
इस जहाँ में एक देश है ऐसा, जो हर देश से न्यारा-प्यारा है
पूछे जब कोई तब बतला देना, वो महान भारतवर्ष हमारा है ।।

जहां आज भी नर में पूजे जाते राम और नारी में माता सीता है
हो अपार उपदेशों का भंडार जहां और हर घर में रहती गीता है
सुधा की धारा बहा रही हो नदियाँ, लहलहाती खेत खलिहान
जहां हो अवतरित देवतागण हर युग में हम सबको सवांरा है
पूछे जब कोई तब बतला देना, वो महान भारतवर्ष हमारा है ।।

जहां हर दिल में प्रेम हो बसता और बातों से अमृत बरसता
सुंदर-सुंदर मधुर सी बोली, जहां राम भजन हर घर में बजता
नहीं किसी से वैर भावना, जहां संस्कृति सभ्यता कायम हो
जहां गंगा-जमुनी हो तहज़ीब हमारी और पैगाम भाईचारा है
पूछे जब कोई तब बतला देना, वो महान भारतवर्ष हमारा है ।।

जहां सुनाती दादी-नानी आज भी किस्से गीता और रामायण की
जहां फैली हो गांवों में हरियाली, दिखती हो मेहनत किसान की
शीश झुका शत्-शत् नमन् करता हूँ मैं अपनी मातृभूमि को
हो ज्ञात इस दुनिया वालों को इस संसार में जो एक ध्रुव तारा है
पूछे जब कोई तब बतला देना, वो महान भारतवर्ष हमारा है ।।

©कवि ऋषि रंजन #Letter_To_Republic_India भारतवर्ष