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रोज़ यही सब क्यु होता है कह के उलझी हूं इन सब को स

रोज़ यही सब क्यु होता है कह के
उलझी हूं इन सब को सह के
क्या सुलझे हो इस सब में बह के
स स स सांस फूल जाती कह के
दोहरा या मन में सवाल कह के
दोगुना होकर अपने को अलग किया सह के
मालूमात से पता लगा वो सिसकारियां भरने लगा सह के
ये देख रही आंखें मूंदे कोने कोने से छिपती छिपाती सह के
खा खा खा खाई में गिर जाती ढेह के
कितना चिक्की में पिसती बटोरती ढेह के
ज़िंदा हूं क्या करूं जीती जागती 
आंखे पलके झपकती ढेह के
काश में अलग कर पाती सह के
रोज़ यही क्यू होता है कह के
जज़्बात ए हर्षिता

 रोज़ यही सब क्यों होता है...
#क्योंहोताहै #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
रोज़ यही सब क्यु होता है कह के
उलझी हूं इन सब को सह के
क्या सुलझे हो इस सब में बह के
स स स सांस फूल जाती कह के
दोहरा या मन में सवाल कह के
रोज़ यही सब क्यु होता है कह के
उलझी हूं इन सब को सह के
क्या सुलझे हो इस सब में बह के
स स स सांस फूल जाती कह के
दोहरा या मन में सवाल कह के
दोगुना होकर अपने को अलग किया सह के
मालूमात से पता लगा वो सिसकारियां भरने लगा सह के
ये देख रही आंखें मूंदे कोने कोने से छिपती छिपाती सह के
खा खा खा खाई में गिर जाती ढेह के
कितना चिक्की में पिसती बटोरती ढेह के
ज़िंदा हूं क्या करूं जीती जागती 
आंखे पलके झपकती ढेह के
काश में अलग कर पाती सह के
रोज़ यही क्यू होता है कह के
जज़्बात ए हर्षिता

 रोज़ यही सब क्यों होता है...
#क्योंहोताहै #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
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रोज़ यही सब क्यु होता है कह के
उलझी हूं इन सब को सह के
क्या सुलझे हो इस सब में बह के
स स स सांस फूल जाती कह के
दोहरा या मन में सवाल कह के