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आकाश और मन दोनों ही समस्त ब्रह्माण्ड को अपने मे


आकाश और मन  दोनों ही समस्त ब्रह्माण्ड
को अपने मे सहेजे हुए हैं इसलिए तो तुम ध्यान
या स्वप्न मे वँहा होते हो जँहा कि कल्पना भी नहीं
कि होती, वो पा लेते हो जो असंभव है। मन अर्थात 
आकाश तत्व मतलब जँहा से तुम नियंत्रण का केंद्र
स्थापित करते हो फिर चाहे वो अपना हो या इस
प्रकृति का।

©मेरे ख़यालात.. (Jai Pathak)
  #आकाशऔरमन