इस दिल की लगी को यह कैसे उलझाता है मन . . . कहना है इसको जो भी कह नहीं पाता है मन . . . उलझनों में लिपटे ख़त को पढ़ने से कतराता है मन . . . यादों की नगरी से यह जब भी गुजरता है मन . . . लिख के दिल के पन्ने पर जो नाम क्यों उसका मिटाता है मन . . . प्यार की महक को छू कर भी क्यों महक नहीं पाता यह मन . . . किस सोच में पड़ी हो हे *अनु* ख़ुद को ही यह देखो समझ नहीं पाता है मन . . . इन उलझनों से निकलने का बस यही है इक रास्ता इसकी सारी हदों को तोड़ दे आज तू दिल की बात बस दिल से ही कर छोड़ दे इस मन का साथ आज तू . . . Please read Anu ji verses also in Caption 🙏 👇 💓 तानों बानों संग भागे रे मन, ठहराव ज़रा, कोई इसमें तो पिरोए तुरपाई कर कर के थक गया बंधन पर, उलझनों में फांस ख़ुद को रिश्ता यूँही अपनी प्रेम राग खोय ... जितना मानुष सुलझाए, सोच का दरिया, उतना ही मारे हीलोरे