ज्योति नाम था शायद उसका,जिसने दिल से खेलना चाहा था। जला ही देगी अरमानों को धड़कन को भी कभी न बताया था। था क्या मन में उसके ,शायद ये बात मै जानकर भी न जान पाया था। वो आग थी या केवल चिंगारी जिसने हंसता आशियाना बेजान बनाया था।। √ आज का विषय है ' ज्योति ' | √ चार पंक्तियोंमे अपनी रचना लीखें| √ Collab पूर्ण होने पर ' Done ' जरूर लीखें | √ #ApnaManch ( अनिवार्य hashtag )