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#OpenPoetry मिले जो पाप की मदिरा , पीके मदहोश न रह

#OpenPoetry मिले जो पाप की मदिरा , पीके मदहोश न रहना ।
किसी के आंसू आते ही , पोंछने जोश में रहना ।
धर्म की हानि होती गर , कभी खामोश न रहना ।
मिलेगी तुमको को मंजिल , जागना होश में रहना ।
आएगा और भी कलयुग , देश को खतरा भी होगा ।
न होना तुम कभी पीछे , सदा सरफरोश तुम रहना ।
जाती है जान जाने दो , देश को तुम बचा लेना ।
मरना न ये शहीदी है , तुम न अफ़सोस में रहना । Pushpak suryawanshi Vallika Poet komalyadavsh nirvandarji  Manoj Kumar
#OpenPoetry मिले जो पाप की मदिरा , पीके मदहोश न रहना ।
किसी के आंसू आते ही , पोंछने जोश में रहना ।
धर्म की हानि होती गर , कभी खामोश न रहना ।
मिलेगी तुमको को मंजिल , जागना होश में रहना ।
आएगा और भी कलयुग , देश को खतरा भी होगा ।
न होना तुम कभी पीछे , सदा सरफरोश तुम रहना ।
जाती है जान जाने दो , देश को तुम बचा लेना ।
मरना न ये शहीदी है , तुम न अफ़सोस में रहना । Pushpak suryawanshi Vallika Poet komalyadavsh nirvandarji  Manoj Kumar