#OpenPoetry मिले जो पाप की मदिरा , पीके मदहोश न रहना । किसी के आंसू आते ही , पोंछने जोश में रहना । धर्म की हानि होती गर , कभी खामोश न रहना । मिलेगी तुमको को मंजिल , जागना होश में रहना । आएगा और भी कलयुग , देश को खतरा भी होगा । न होना तुम कभी पीछे , सदा सरफरोश तुम रहना । जाती है जान जाने दो , देश को तुम बचा लेना । मरना न ये शहीदी है , तुम न अफ़सोस में रहना ।