मैं भी रहूँ अपनी औकात में कुछ पल के लिए कोई तो मुझे मुझसे दे मिला कुछ पल के लिए मैं अपनी हस्ती से अलग जी रहा था तेरी हस्ती मैं अपना ही नहीं था रहा कुछ पल के लिए मैं साहिल पर गया तो समंदर ने पैर धोए मेरे मैंने ख़ुद को ईश्वर समझ लिया कुछ पल के लिए रेत ही सा फिर बह गया समंदर में कातिब पैरों के नीचे से लहरों ने जब रेत दी हिला कुछ पल के लिये ©Prashant Shakun "कातिब" #कुछ__पल__के__लिए #diary #poetry #lifelessons #डायरी_के_पिछले_पन्नों_से #pshakunquotes by #प्रशांत_शकुन_कातिब "सीमा"अमन सिंह