नज़्म तेरे इश्क़ में ये उम्र गुज़र जाए तो अच्छी है तेरी याद बस एक याद रह जाए तो अच्छी है एक अरसे बाद इस गुलदान में एक फूल खिला है छोटा ही सही उम्मीद का एक पंख निकला है फ़िर किसी रांझा को उसकी हीर मिली है फिर किसी बक्से से तेरी तस्वीर निकली है हज़ारों उलझनों की गुत्थियां एक साथ सुलझी है जो बातें थी पुरानी आज आपस में कुछ उलझी है तेरी यादों ने आकर एक बस्ती फ़िर बसा ली है तेरी आवाज़ ने वापस वही जादू चलाया है सालों बाद ये मौसम फ़िर मुस्कुराया है सालों बाद ये मौसम फ़िर मुस्कुराया है #Pehli_Mulakkat #pyar #mohabbat #dil #jan