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धरती माँ की पुकार माँ हूँ बच्चों मैं तुम्हारी और

धरती माँ की पुकार

माँ हूँ बच्चों मैं तुम्हारी और तुम हो मेरे लाल

पाल पालकर तुम सबको हो गई मैं कंगाल

कमजोर किया मुझे चीर के देखो मेरा सीना

प्रदूषण फैलाकर कठिन कर दिया मेरा जीना

बाँझ मुझे बनाया पिलाकर जहरीले रसायन

अपने विकास का तुम करते हो झूठा गायन

कहीं किया मुझे बंजर कहीं दलदल फैलाया

घोर बिमारियों से मुझको भी ग्रसित बनाया

ऐसी जर्जर हालत में कैसे तुम सबको पालूं

कैसे अपने सीने से अमृत तुल्य फल निकालूं

पुत्र समान मेरे प्रिय वृक्षों को तुमने काट दिया

मेरे ही आँचल को तुमने सीमाओं में बाँट दिया

चलते चलते मुसाफिर थककर ही मर जाता है

दूर दूर तक पेड़ की ठंडी छाँव नहीं वो पाता है

छलनी किया मेरा सीना तूने ये क्या कर डाला

लालच में तूने मेरे मुख का छीन लिया निवाला

तेरे पांवों तले रहती थी तुझसे क्या मैं लेती थी

जितना लेती थी तुझसे हजार गुना मैं देती थी

अब भी नहीं बिगड़ा कुछ खुद को तूँ संभाल

विलासिता के जंजाल से खुद को तूँ निकाल

हरियाली बढ़ाकर करते जाना तूँ मेरा पालन

श्रीमत के बल पर करना जीवन का संचालन

प्यार करके मुझको तूँ पा ले सुख अविनाशी

हरियाली फैलाकर तूँ मिटा दे मेरी भी उदासी

मेरी सेवा करेगा तो मैं भी सेवा करूंगी तेरी

सुख दूंगी अपार तुझे ये है अटल प्रतिज्ञा मेरी

ॐ शांति
धरती माँ की पुकार

माँ हूँ बच्चों मैं तुम्हारी और तुम हो मेरे लाल

पाल पालकर तुम सबको हो गई मैं कंगाल

कमजोर किया मुझे चीर के देखो मेरा सीना

प्रदूषण फैलाकर कठिन कर दिया मेरा जीना

बाँझ मुझे बनाया पिलाकर जहरीले रसायन

अपने विकास का तुम करते हो झूठा गायन

कहीं किया मुझे बंजर कहीं दलदल फैलाया

घोर बिमारियों से मुझको भी ग्रसित बनाया

ऐसी जर्जर हालत में कैसे तुम सबको पालूं

कैसे अपने सीने से अमृत तुल्य फल निकालूं

पुत्र समान मेरे प्रिय वृक्षों को तुमने काट दिया

मेरे ही आँचल को तुमने सीमाओं में बाँट दिया

चलते चलते मुसाफिर थककर ही मर जाता है

दूर दूर तक पेड़ की ठंडी छाँव नहीं वो पाता है

छलनी किया मेरा सीना तूने ये क्या कर डाला

लालच में तूने मेरे मुख का छीन लिया निवाला

तेरे पांवों तले रहती थी तुझसे क्या मैं लेती थी

जितना लेती थी तुझसे हजार गुना मैं देती थी

अब भी नहीं बिगड़ा कुछ खुद को तूँ संभाल

विलासिता के जंजाल से खुद को तूँ निकाल

हरियाली बढ़ाकर करते जाना तूँ मेरा पालन

श्रीमत के बल पर करना जीवन का संचालन

प्यार करके मुझको तूँ पा ले सुख अविनाशी

हरियाली फैलाकर तूँ मिटा दे मेरी भी उदासी

मेरी सेवा करेगा तो मैं भी सेवा करूंगी तेरी

सुख दूंगी अपार तुझे ये है अटल प्रतिज्ञा मेरी

ॐ शांति