बहुत बड़ी कीमत चुकाई है मैंने यहां तक आने में रातों की नींद, घर , जवानी गंवायी है तुझे पाने में मत जाओ मेरे झुके कंधे और बालों की सफेदी पर मैंने सरकारी नौकरी पायी है ,आरक्षण के जमाने में बहुत कीमत चुकाई है यहां तक आने में नींद, घर ,जवानी गंवायी है तुझे पाने में मत जाओ झुके कंधे,बालों की सफेदी पर मैंने सरकारी नौकरी पायी है ,आरक्षण के जमाने में मुश्किल से उसकी हां मिली,नौकरी थी शर्त मैं अनारक्षित वर्ग का,पढ़ने का भी न सामर्थ्य एक नौकरी कमाने में आधी उम्र बितादी मैंने