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क्या लिखूँ बेचैनी का ये आलम ये दौर दोबारा आये ना

क्या लिखूँ बेचैनी का ये आलम  ये दौर दोबारा आये ना
सब कुछ आए वापस पर ये शोर दोबारा आए ना।।

एक अरसा बीता खुशियों का मंजर नजर ना आया है
दुख का बादल छाया है अंधेरा ले कर आया है।।

पर घबराने से क्या होगा इस दौर से बाहर तो जाना है
साथ में चलते जाना है तनिक नहीं घबराना है।।

अंधेरा कितना भी गहरा हो सुबह तो एक दिन होनी है
इस गम के बादल की भी हार तो एक दिन होनी हैं।।

फिर खुशियों का सावन आयेगा 
फिर आंगन में खुशियां लाएगा।।

©Radha Chandel #हम जीतेंगे
#PoetInYou
क्या लिखूँ बेचैनी का ये आलम  ये दौर दोबारा आये ना
सब कुछ आए वापस पर ये शोर दोबारा आए ना।।

एक अरसा बीता खुशियों का मंजर नजर ना आया है
दुख का बादल छाया है अंधेरा ले कर आया है।।

पर घबराने से क्या होगा इस दौर से बाहर तो जाना है
साथ में चलते जाना है तनिक नहीं घबराना है।।

अंधेरा कितना भी गहरा हो सुबह तो एक दिन होनी है
इस गम के बादल की भी हार तो एक दिन होनी हैं।।

फिर खुशियों का सावन आयेगा 
फिर आंगन में खुशियां लाएगा।।

©Radha Chandel #हम जीतेंगे
#PoetInYou