Vote #मायका कल तक मेरे और पूरे घर के बीच अच्छी जान पहचान थी। मैं हर एक चीज के लिए उनकी बड़ी बहन के समान थी।। अंधेरे में छोटी सी सुई भी मुझे देख कर मुस्कुरा उठती थी। चाबियां एक-दूसरे के पीछे छुपने की कोशिश करती थी।। लेकिन मैं उनकी चूटियां पकड़कर निकाल ही लेती थी। घर की हर मामूली चीज मेरी नजरो के सामने रहती थी।। लेकिन मेरी शादी क्या हुई सब कुछ पराया सा हो गया। मानो हर एक सामान मेरी तरफ कमर कर के सो गया।। अब हर चाबी की मुंडी ताले के भीतर घुसानी पड़ती है। फिर बारी बारी कर के उनकी जोड़ी मिलानी पड़ती है।। याद ही नहीं रहा किस पॉइंट में इनवर्टर का कनेक्शन है। कौन से डिब्बे में चीनी है और कौन से डिब्बे में बेसन है? कढ़ाई में तेल जल जल कर धुआं धुआं हो जाएगा। लेकिन कलमुहां जीरा अपनी शक्ल ना दिखाएगा।। कल तक जो रिमोट हाथ आकर नींद में भी चलता। आज वॉल्यूम करना चाहूं तो कमीना चैनल बदलता।। अब तो मेरे बाद हर एक सामान पर भाभी की छाप है। भतीजें भतीजीयों के मुख से बूआजी का आलाप है।। साधना ©Lotus banana (Arvind kela) #voting