बरसात का ये मौसम अब भी गया नहीं है... सबकुछ मिला मुझे पर कुछ भी मिला नहीं है... तुमने ही मेरी नीदें इस कदर हैं चुरायीं... तुझको ही दिल मे अब बसाके, सबकुछ बना लिया है.. ..