चमन ने तुझे याद किया फिज़ाओं से मिलने के बाद चेहरा है तेरा गुंचों मे ,बागों के खिलने के बाद दूब तक महक उठी है जमीन पर तेरे चलने के बाद ढूँढने निकले है तुझे पत्ते मौसम के बदलने के बाद मै भी मजबूर हू जब से है तुमसे बात हुई दिल संभलता ही नहीँ वक़्त गुज़रने के साथ कितना कुछ सोचा था मैने तुमसे आज कह दूँगा जबां खुली ही नहीँ आंख ये मिलने के बाद आज आसाइशें तुमहारी मुझसे जुदा हैं लेकिन याद आयेगी मेरी उम्र ये ढलने के बाद आज तुम एक लहर हो और मै किनारा हूँ और क्या चाहिए तूफान के गुजरने के बाद पेशे नजर है एक नयी गजल