सुनो, कैसे लिखूं तुम्हारा नाम मेहंदी से? कहते हैं कि मेहंदी वाले हाथ में पिया का नाम लिखना शुभ होता है। पर मैं नहीं मानती.. निखार फीकी पड़ गई, रंग छूट गया तो तुम्हारा नाम भी छूट जाएगा.. कैसे लिखूं तुम्हारा नाम उन दीवारों पर? लोग पत्थरों , दीवारों, बड़ी बड़ी इमारतों पर प्यार का इजहार करते हैं। पर मैं नहीं मानती.. बेरहम मौसमों को रहम न आएगी और तुम्हारा नाम मिट जाएगा.. कैसे लिखूं तुम्हारा नाम कागज पर? भर दें पूरी डायरी अपने प्यार के ही नाम से और आ जाए दिल को चैन। पर मैं नहीं मानती.. कभी फट जाएगी, जल जाएगी, खो जाएगी फिर तुम्हारा नाम भी खो जाएगा.. कैसे लिखूं तुम्हारा नाम रेतीले सतह पर? कितने ही क्षसपनों के घरोंदे बनें, नजाने कितने नाम लिखे जाते हैं। पर मैं नहीं मानती.. उन धुले घरोंदों की तरह, उन नामों की तरह तुम्हारा नाम भी तो धुल जाएगा.. सुनो, मैं नहीं मानती प्यार के इसतरह के इजहार को बना लेना चाहती हूं अमर तुम्हें और तुम्हारे नाम को.. बसा लिया है दिल के हर कोने में, हर धड़कन में, हर अहसास में तुम्हें अब तुम्हारा नाम अमर रह जाएगा... ये प्यार अमर हो जाएगा... © varsha Mahananda कैसे लिखूं..? #Drops