जब तेरा ज़िक्र होता है और तू न साथ होती है तब तेरा फ़िक्र होता है और तू न पास होती है जब तुम्हें न देख पाता हूं न तुमसे बात होती है तब सुबह से शाम होता है शाम से रात होती है जब घटा ग़मों का होता है खूब बरसात होती है तब दिल तड़प के रोता है ना कोई आवाज़ होती है ©Mohd Asif (Genius) #asifgenius #Terazikr #zikr_tera #zikr