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जब भी गुजरुं उसकी गली से वो दुप्पटा गिरा देता है

जब भी गुजरुं उसकी गली से वो दुप्पटा गिरा देता है 
कुछ कहता नही बस अपनी मुस्कान से गिरा देता है 

कुछ यूं भी हार होती रही है मेरी अक्सर, जब  उड़ने 
की बारी आये मेरा  कबूतर अपने  पर गिरा  देता  है  

आप चंद रुपये  खो कर  अफसोस में हैं ,मौत  क्या 
होती है उससे पुछो जो अपने दस्तावेज गिरा देता है 

अगर तुझे तेरे रफिको ने ठुकरा दिया तो हैरत  क्या 
सूख जाने के बाद तो  पेड़  भी  शाखें गिरा  देता  है 

कुछ इसलिये  शिकायत  नही करता  मैं उससे कोई
वो जवाब के  बदले  बेसकिमती  आंसू गिरा देता  है 
               शादाब कमाल #मोहब्बत_से_खाक_तक #newday  Itefaque khan Aaradhana Anand BELINDA INDA 🐦Awaaz-e-shayari (Imran Hussain)  Prakash Khanna
जब भी गुजरुं उसकी गली से वो दुप्पटा गिरा देता है 
कुछ कहता नही बस अपनी मुस्कान से गिरा देता है 

कुछ यूं भी हार होती रही है मेरी अक्सर, जब  उड़ने 
की बारी आये मेरा  कबूतर अपने  पर गिरा  देता  है  

आप चंद रुपये  खो कर  अफसोस में हैं ,मौत  क्या 
होती है उससे पुछो जो अपने दस्तावेज गिरा देता है 

अगर तुझे तेरे रफिको ने ठुकरा दिया तो हैरत  क्या 
सूख जाने के बाद तो  पेड़  भी  शाखें गिरा  देता  है 

कुछ इसलिये  शिकायत  नही करता  मैं उससे कोई
वो जवाब के  बदले  बेसकिमती  आंसू गिरा देता  है 
               शादाब कमाल #मोहब्बत_से_खाक_तक #newday  Itefaque khan Aaradhana Anand BELINDA INDA 🐦Awaaz-e-shayari (Imran Hussain)  Prakash Khanna