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खो रही है खासियत सब दौड़ की इस होड़ में जाने अब फ

खो रही है खासियत सब
 दौड़ की इस होड़ में
जाने अब फिर कब मिले 
वो आगे अब किस मोड़ में
आलाव की चौपाल गांवों
में भी अब लगती नहीं
ना सुबह ना शाम किस्सा
नानी अब कहती नही
ना चांद तारे देखकर 
लल्ला लालायित है कहीं
वायु दूषित वासी दूषित
हर हवा अब है प्रदूषित
जलने को बूढ़े याद में दिल
लाव मिलता है नहीं
बढ़ रहे हैं भाव सबके
चाव मिलता है नही

©दीपेश #अलाव

#Winter
खो रही है खासियत सब
 दौड़ की इस होड़ में
जाने अब फिर कब मिले 
वो आगे अब किस मोड़ में
आलाव की चौपाल गांवों
में भी अब लगती नहीं
ना सुबह ना शाम किस्सा
नानी अब कहती नही
ना चांद तारे देखकर 
लल्ला लालायित है कहीं
वायु दूषित वासी दूषित
हर हवा अब है प्रदूषित
जलने को बूढ़े याद में दिल
लाव मिलता है नहीं
बढ़ रहे हैं भाव सबके
चाव मिलता है नही

©दीपेश #अलाव

#Winter