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मैं गुलमोहर हूँ (कृप्या अनुशीर्षक में पढ़ें) हमेशा

मैं गुलमोहर हूँ

(कृप्या अनुशीर्षक में पढ़ें) हमेशा की तरह आज फिर एक बार तुमने मुझसे अपने प्यार का इज़हार किया और हमेशा की तरह मैंने मुस्कुराकर केवल तुम्हारा शुक्रिया अदा किया।
सिर्फ इसलिए कि मुझे तुमसे प्यार नहीं है मैं कोई वादा नहीं करती, ऐसा कोई वादा जो में निभा ना सकूँ.. या यह कहूँ की कोई फरेब नहीं चाहती मैं।

लेकिन यह भी सच है कि मुझे परवाह है उस प्यार की जो तुम्हें है मुझसे।
तुम इस बात से तो हमेशा ही निष्फिक्र रहना की मैं किसी और को ना चाहने लगूँ।
कहीं किसी और के प्रेम में ना बंध जाऊं।
नहीं, ऐसा कभी नहीं होगा।
तुम्हारी एकतरफा मोहब्बत में कुछ वफ़ा मैं भी निभाऊंगी। अगर प्यार करना ही होगा तो तुम्हें ही चाहूंगी।
मैं गुलमोहर हूँ

(कृप्या अनुशीर्षक में पढ़ें) हमेशा की तरह आज फिर एक बार तुमने मुझसे अपने प्यार का इज़हार किया और हमेशा की तरह मैंने मुस्कुराकर केवल तुम्हारा शुक्रिया अदा किया।
सिर्फ इसलिए कि मुझे तुमसे प्यार नहीं है मैं कोई वादा नहीं करती, ऐसा कोई वादा जो में निभा ना सकूँ.. या यह कहूँ की कोई फरेब नहीं चाहती मैं।

लेकिन यह भी सच है कि मुझे परवाह है उस प्यार की जो तुम्हें है मुझसे।
तुम इस बात से तो हमेशा ही निष्फिक्र रहना की मैं किसी और को ना चाहने लगूँ।
कहीं किसी और के प्रेम में ना बंध जाऊं।
नहीं, ऐसा कभी नहीं होगा।
तुम्हारी एकतरफा मोहब्बत में कुछ वफ़ा मैं भी निभाऊंगी। अगर प्यार करना ही होगा तो तुम्हें ही चाहूंगी।

हमेशा की तरह आज फिर एक बार तुमने मुझसे अपने प्यार का इज़हार किया और हमेशा की तरह मैंने मुस्कुराकर केवल तुम्हारा शुक्रिया अदा किया। सिर्फ इसलिए कि मुझे तुमसे प्यार नहीं है मैं कोई वादा नहीं करती, ऐसा कोई वादा जो में निभा ना सकूँ.. या यह कहूँ की कोई फरेब नहीं चाहती मैं। लेकिन यह भी सच है कि मुझे परवाह है उस प्यार की जो तुम्हें है मुझसे। तुम इस बात से तो हमेशा ही निष्फिक्र रहना की मैं किसी और को ना चाहने लगूँ। कहीं किसी और के प्रेम में ना बंध जाऊं। नहीं, ऐसा कभी नहीं होगा। तुम्हारी एकतरफा मोहब्बत में कुछ वफ़ा मैं भी निभाऊंगी। अगर प्यार करना ही होगा तो तुम्हें ही चाहूंगी। #रूपकीबातें