बहती हवा सा है यह चंचल मन मेरा कभी इधर कभी उड़ना चाहे। कभी तेरे संग बैठकर बातें करना चाहे कभी तेरे संग घूमना चाहे। हवा के संग संग रहकर मैं बादलों से बातें करूं तेरे संग संग चलूं। कभी बदली बनकर छा जाऊं कभी बारिश बनके बरस पड़ूं। कभी हवा का झोंका बन तेरे अंतर्मन को मैं छूं जाऊं अपनी याद दिलाऊं। कभी बनकर गर्म सांसों सी तुम्हारी सांसों में बस जाऊं तुम्हारी हो जाऊं। Sanju Tripathi -"Ek Soch" #sanjaysheoran #ritiksheoran #साहित्यिक सहायक #बहती हवा सा