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इक पवन मद्धम सी शीतल थी मैं उससे जुड़ गया, बन के वो

इक पवन मद्धम सी शीतल थी मैं उससे जुड़ गया,
बन के वो तूफान मुझको संग लेके उड़ गया,
सारे हृदय की पीर बस एक साँस में ही पी गया,
मुख से निकली आह न होठों को ऐसे सी गया।
इक फूल था मैंने सजाया अपनें दिल की सेज पे,
वो फूल मेरे हृदय में ही शूल बन के रह गया।
मैं अकेला था अकेला हूँ अकेला रह गया। #alone#hindi#poetry#nojoto#
इक पवन मद्धम सी शीतल थी मैं उससे जुड़ गया,
बन के वो तूफान मुझको संग लेके उड़ गया,
सारे हृदय की पीर बस एक साँस में ही पी गया,
मुख से निकली आह न होठों को ऐसे सी गया।
इक फूल था मैंने सजाया अपनें दिल की सेज पे,
वो फूल मेरे हृदय में ही शूल बन के रह गया।
मैं अकेला था अकेला हूँ अकेला रह गया। #alone#hindi#poetry#nojoto#

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