कोई रम्ज़ जाने न इंसानियत का, बशर ख़ुद-मुताबिक़ ख़ुदा हो रहा है। जरूरत भी क्या है जियारत की 'साहिल' तेरे हाथ से ग़र भला हो रहा है ।। ©शमशेर 'साहिल' #insaniyat#kind#khuda#ziyarat#बशर #शमशेर_साहिल #Shamsher_Sahil #pain #tears #GhazalOfSahil #BestPoetryEver #HindiShayri