मेरी मासूम ख़्वाहिशों को बड़ी ही मासूमियत से दबा दिया उसने, करता रहा झूठे प्यार की बातें हमसे पर भरोसा दिला दिया उसने। जानते थे बड़ी मुश्किल है मोहब्बत की राहें फिर भी चलने लगे हम, चाहते नहीं थे उससे प्यार करना फिर भी जाने कैसे करने लगे हम। किससे करें शिकवा और किससे करें शिकायत जब हम ही गुनाहगार हैं, कैसे करें उससे वफाई की उम्मीद जब जानते हैं कि हम भी किराएदार हैं। ♥️ Challenge-493 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ इस विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।