अपनी छोटी उंगली पर पर्वत रखने वाले को, सब खेल दिखाने आते हैं, नंद गांव के ग्वाले को किन शब्दों से रच दूं कविता, सहम जाती है कलम अपनी प्रशंसा स्वयं लिखो तुम, हे कान्हा हे मधुसूदन राधा रानी अनंतकाल से रहती जिसको निहारे तुम यह संसार चल रहे हैं इसी भरोसे की इसके पालन हारे तुम रणभूमि में गीता की कविता कहने वाले तुम करण द्रोण और भीष्म को धर्म सिखाने वाले तुम यह मेरी लिखे शब्द सुमन ही समझना मेरी भक्ति मेरी सेवा श्री कृष्ण गोविंदा हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा...🙏🙏 ©Dipak Jha अपनी छोटी उंगली पर पर्वत रखने वाले को, सब खेल दिखाने आते हैं, नंद गांव के ग्वाले को किन शब्दों से रच दूं कविता, सहम जाती है कलम अपनी प्रशंसा स्वयं लिखो तुम,