सच में मर जाने का जी करता है कभी कभी फिर याद आता है कि घर को मेरी जरूरत है अभी.. खुशनुमा लगता है जो शख़्स महफिलो में तुम्हें वो तन्हाइयों में ढूंढता है खुद को कभी कभी भरी बरसात में जलता है कतरा कतरा दिल टूटा हो जिसका अभी कभी इश्क मोहब्बत की शम्मा रोशन में करू केसे मेरे घर के आंगन में खुद अंधेरा है अभी सुनने और सुनाने में याद कोन रखे स्नेही कि वक्त रायेगा आपका भी हमने किया अभी अभी ©Snehi Uks #स्नेही #uks #अहसास #chaand