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बेशर्त दोस्ती बेशर्त दोस्ती थी मेरी जो तुम बखूबी न

बेशर्त दोस्ती बेशर्त दोस्ती थी मेरी जो तुम बखूबी निभा गये, 
जाने कब के टूट गये होते वो तुम थे जो हौसला बढा गये, 
हर कदम अकेले थे मगर तुम परछांई बन गये, 
दुख के बादल घने थे पर तुम हंसी बन गये,
बेशर्त दोस्ती थी मेरी जिसे तुम बखूबी निभा गये।। 

#अंकित सारस्वत# #december#बेशर्त दोस्ती
बेशर्त दोस्ती बेशर्त दोस्ती थी मेरी जो तुम बखूबी निभा गये, 
जाने कब के टूट गये होते वो तुम थे जो हौसला बढा गये, 
हर कदम अकेले थे मगर तुम परछांई बन गये, 
दुख के बादल घने थे पर तुम हंसी बन गये,
बेशर्त दोस्ती थी मेरी जिसे तुम बखूबी निभा गये।। 

#अंकित सारस्वत# #december#बेशर्त दोस्ती