मोमबत्ती या दिया ख़ुद बख़ुद नहीं जलता उसे जलाने के लिए किसी दूसरे का साथ जो उसमें आग भर के उसे ज़ाल के रोशन कर उसे भी आबाद कर दे और खुद को भी उस ज्योत से जगमगा कर ज़िन्दगी समझ के जी ले। निश्चय ही एक बालक जैसे साथ चाहे माँ का मगर उसे पिता की ज़रूरत उतनी ही होती है जितनी माँ की और इनमें से खुद अकेला ही वो बालक न तो खुद म बन सकता न पिता और न ही प्रकृति उसे अकेले ही सम्हाल सकती है क्योंकि उसे पुरुष की भी उतनी ही आवश्यकता है जितनी प्रकृति की अगर मान भी लें कि अगर वो जन्म के बाद जीवित बचेगा य्या फिर नहीं...। Hello Resties! ❤️ Collab on this #rzpictureprompt and add your thoughts to it! 😊 Highlight and share this beautiful post so no one misses it!😍 Don't forget to check out our pinned post🥳