उसका चाँद सा मुखड़ा देख मैं उसमें ही कहीं खो जाता हूँ, वह हवा की तरह दौड़ती है यहाँ से वहाँ और मैं मुस्काता हूँ। बहते जल में उठती हुयी लहरों सी अठखेलियाँ करती है वह, देख उसकी निश्छल मुस्कुराहट खुद के और क़रीब आता हूँ अनंत हृदय कितना विशाल है उसका, सब कुछ समा लेती है, गुड्डा-गुड़िया खेल-खिलौने देख अपना बचपन उसमें ढूँढता हूँ अग्नि की लालिमा दिखती उसके चेहरे पर, ओज है विचारों में, धरा है वो या धुरी मेरे घर की, सब को उसके सम्मुख पाता हूँ वह मेरा अक्स है या फिर मैं उसका, यह मेरी समझ से परे है, यूँ ही रूठ जाती है वह मुझे सताने को,फिर मैं उसे मनाता हूँ ख़ुद से भी ज्यादा उसको हमेशा मेरी ही फिक्र रहती है यूँ तो वह बिटिया है मेरी पर मैं उसे अपनी माँ बताता हूँ। #pnpabhivyakti #pnpabhivyakti2 #pnphindi #father_daughter #daughterlove