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पूरे तीन घंटे बाद वह ‘सकीना-सकीना’ पुकारता कैम्प क

पूरे तीन घंटे बाद वह ‘सकीना-सकीना’ पुकारता कैम्प की खाक छानता रहा,
 मगर उसे अपनी जवान इकलौती बेटी का कोई पता न मिला.
 चारों तरफ़ एक धांधली-सी मची थी
. कोई अपना बच्चा ढूंढ़ रहा था, कोई मां, कोई बीबी और कोई बेटी. 

सिराज़ुद्दीन थक-हारकर एक तरफ़ बैठ गया और 
मस्तिष्क पर ज़ोर देकर सोचने लगा कि 
सकीना उससे कब और कहां अलग हुई, 
लेकिन सोचते-सोचते उसका दिमाग़ 
सकीना की मां की लाश पर जम जाता,
 जिसकी सारी अंतड़ियां बाहर निकली हुईं थीं. 
उससे आगे वह और कुछ न सोच सका.

#खोल_दो@मण्टो #Language_of_tears #खोल_दो #मण्टो_की_कहानियाँ
पूरे तीन घंटे बाद वह ‘सकीना-सकीना’ पुकारता कैम्प की खाक छानता रहा,
 मगर उसे अपनी जवान इकलौती बेटी का कोई पता न मिला.
 चारों तरफ़ एक धांधली-सी मची थी
. कोई अपना बच्चा ढूंढ़ रहा था, कोई मां, कोई बीबी और कोई बेटी. 

सिराज़ुद्दीन थक-हारकर एक तरफ़ बैठ गया और 
मस्तिष्क पर ज़ोर देकर सोचने लगा कि 
सकीना उससे कब और कहां अलग हुई, 
लेकिन सोचते-सोचते उसका दिमाग़ 
सकीना की मां की लाश पर जम जाता,
 जिसकी सारी अंतड़ियां बाहर निकली हुईं थीं. 
उससे आगे वह और कुछ न सोच सका.

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