गर पूछ सकते हो तो पूछ लो, इन पन्नों पर ये बिखरा बिखरा ग़म क्यों दिखता है पर कभी किसी लेखक से ये ना पूछना, कि आखिर वो क्यों लिखता है लिखता है वो अपने, एहसासों को लिखता है वो अपने, जज़्बातों को लिखता है वो अपने, ख़ामोश दिल की धड़कन लिखता है वो अपने, ख़ामोश आवाजों को वो अपने हर एक सवालों का बड़ा ही अलग जवाब लिखता है पर कभी किसी लेखक से ये ना पूछना, कि आखिर वो क्यों लिखता है लिखता है वो अपने, आदतों को लिखता है वो अपने, चाहतों को लिखता है वो अपने, दर्द की तड़पन लिखता है वो अपने, अधूरी इबादतों को जो पूरा ना हुआ कभी, वो बरसों का अधूरा ख्व़ाब लिखता है पर कभी किसी लेखक से ये ना पूछना, कि आखिर वो क्यों लिखता है लिखता है वो अपने, अनकहे अल्फ़ाजों को लिखता है वो अपने, दबे हुए राजों को लिखता है वो फ़ूल में मिलीं, काटो की चुभन लिखता है वो अपने, अलग अंदाजो को हर एक ख़ुशी हर एक ग़म, हर एक बातों का इज़हार लिखता है पर कभी किसी लेखक से ये नहीं पूछना, कि आखिर वो क्यों लिखता है गर पूछ सकते हो तो पूछ लो, इन पन्नों पर ये बिखरा ग़म क्यों दिखता है पर कभी किसी लेखक से ये ना पूछना, कि आखिर वो क्यों लिखता है लिखता है वो अपने एहसासों को लिखता है वो अपने जज़्बातों को लिखता है वो अपने ख़ामोश दिल की धड़कन लिखता है वो अपने ख़ामोश आवाजों को वो अपने हर एक सवालों का बड़ा ही अलग जवाब लिखता है