गुलदस्ता यादों का आज फिर से सजाया है, मेरे जख्मों पर मरहम लगाने वाले , जरा पलट कर तो देख तेरे साथ बिताए पलों का , आज मैने कब्रिस्ता दिल में सजाया है। बड़ी बारिकी से बुना है कफ़न जो उस पर , हर एक फूल जज्बातों का नजाकत से सजाया है। फुर्सत के पलों में कभी आना , जब मिले न सुकूँ , न कहीं ठिकाना। परवरदिगार से भी रजामंदी में यही , बार बार फरमाया है। Kavita jayesh panot @cosmic power ©Kavita jayesh Panot #यादें#गुलदस्ता