कहीं पैरो तले दुलीचा बिछा हैं कहीं ज़िस्मो पे चादर फटा है आख़िर ये किसका संसार हैं आख़िर ये किसका इंसाफ हैं कहीं ख़ुशी की बरसात है कहीं आँसू भी बेकार है आख़िर ये किसका संसार हैं आख़िर ये किसका इंसाफ हैं uma आखिर ये किसका इंसाफ हैं