निरंतर प्रयास और मन की शक्ति से ही, किसी भी मंज़िल को हम छू सकते हैं, कोई भी बाधा कुछ नहीं बिगाड़ सकती है, जब हम इन दोनों के सहारे खड़े होते हैं। निरंतर प्रयास और मन की शक्ति से ही, 'अरुणिमा-सिन्हा' हिमालय फतेह कर पाती हैं, बाधाओं को दूर कर 'सुधा-चंद्रन' जी 'नाचे मयूरी' बन जाती हैं। निरंतर प्रयास और मन की शक्ति से ही, कोई असंभव को भी सम्भव कर पाता है, इसी की बदौलत इन्सान विजय पताका लहराता है। ©mysterious girl 'अरुणिमा सिन्हा' विश्वविख्यात पर्वतारोही जिन्होंने हादसे में अपना एक पैर गंवाने के बाद भी पर्वतारोहण शुरू किया और इसमे कड़े परिश्रम के बाद सफलता भी हासिल की। 'सुधा चंद्रन' जी अभिनेत्री और श्रेष्ठ नृत्यांगना, इनका भी बचपन में ही सड़क दुर्घटना में एक पैर गम्भीर रूप से ज़ख्मी हो गया था, इनकी जान बचाने के लिए डॉक्टर को इनका पैर ऑपरेशन से अलग करना पड़ा, छोटी सुधा को नृत्य का बहुत शौक था। अपना पैर गंवाने के बाद भी उन्होंने नृत्य ज़ारी रखा और श्रेष्ठ नृत्यांगना बनी। उनके संघर्ष से प्रेरित होकर, बचपन में ही उनकी जिंदगी पर एक पिक्चर बनी थी, जिसका नाम है 'नाचे-मयूरी'। एसे अनेक उदहारण हैं हमारे समाज में जिन्होने असंभव को सम्भव कर के दिखाया और प्रेरणा स्त्रोत बनकर सबकी जिंदगी में रोशनी भरने का काम किया और ये सब सम्भव हुआ उनकी इच्छा शक्ति और निरंतर प्रयास से। #AdhureVakya