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नख से शिख तक देखो करके सोलह श्रृंगार। मैं हूँ दुल

नख से शिख तक देखो करके सोलह श्रृंगार। 
मैं हूँ दुल्हन अब मुझको जाना है पी के द्वार।।

माथे का टीका दर्शाता मेरे स्वाभिमान को। 
नाक की नथनी शोभा देती अधरों की मुस्कान को।। 

नयनो में कजरा है काला, रंग भरे हैं आँखों में। 
होठों की लाली से मेरी प्रेम खिले है बातों में।। 

खन-खन करता देखो मेरे हाथों का ये कंगना है। 
कर्म भूमि अब तो मेरी, मेरे साजन का अंगना है।। 

पायल की झंकार मेरी नयी खुशियों का आग़ाज़ है। 
घूँघट में सिमटी मेरे अब दोनों कुल की लाज है।। 

रूप श्रृंगार अधूरा मेरा, बिना पिया के प्यार के। 
नए रिश्तों में बाँधा जिसने, मुझको इस संसार के।। 

अब तो यही अभिलाषा मेरी, उनसे प्रीत जताना है। 
रिश्तों का ये प्यारा बंधन सातों जनम निभाना है।। #poojagupta_preet #womensday #shringar #dulhan
नख से शिख तक देखो करके सोलह श्रृंगार। 
मैं हूँ दुल्हन अब मुझको जाना है पी के द्वार।।

माथे का टीका दर्शाता मेरे स्वाभिमान को। 
नाक की नथनी शोभा देती अधरों की मुस्कान को।। 

नयनो में कजरा है काला, रंग भरे हैं आँखों में। 
होठों की लाली से मेरी प्रेम खिले है बातों में।। 

खन-खन करता देखो मेरे हाथों का ये कंगना है। 
कर्म भूमि अब तो मेरी, मेरे साजन का अंगना है।। 

पायल की झंकार मेरी नयी खुशियों का आग़ाज़ है। 
घूँघट में सिमटी मेरे अब दोनों कुल की लाज है।। 

रूप श्रृंगार अधूरा मेरा, बिना पिया के प्यार के। 
नए रिश्तों में बाँधा जिसने, मुझको इस संसार के।। 

अब तो यही अभिलाषा मेरी, उनसे प्रीत जताना है। 
रिश्तों का ये प्यारा बंधन सातों जनम निभाना है।। #poojagupta_preet #womensday #shringar #dulhan