बंद जु़बाँ के दायरे मे कुछ एसा करना सीख गए, आँखों से कहते कहते आँखों को पढ़ना सीख गए। नज़रों कि शरारतों को पलकों से ढकना सीख गए, आँखों से कहते कहते, आँखों को पढ़ना सीख गए। बिना अल्फाजों के जज़्बातों को बिखराना भी हम सीख गए, सुनसान निगाहों मे उन्की बह जाना भी हम सीख गए। कैसे बहते अश्क, सुकूं दे जाते हैं रुह के भारीपन को भी, कि हम सिसकते सिसकते कुछ ऐसे अंदाज़-ए-बयां सीख गए, आँखों से कहते कहते, आँखों को पढ़ना सीख गए। तुझे बुरा कहूँ, बद्दुआएंँ दूँ मेरे अश्कों को बहाने के लिए, शायद रोना भी ज़रूरी है बीते लम्हों को भूल जाने के लिए। पर आँसुओं की ना रुकती बारिश में, कुछ इस तरह से हम भीग गए, दर्द को धोखा देने का लाजवाब सलीका पल गुज़रते ही हम सीख गए, और इस तरह आँखों से कहते कहते आँखों को पड़ना सीख गए।। #shaayavita #dard #aansoon #nojoto