कुछ याद दिलाती है....... कभी यहां थे फलों से आच्छादित वन यही पर आश्रय पाते थे जानवर और जन मिलता था सुकुन गर्मियों में यहां आके बच्चे भी यही पर दोपहर में खेलते-खाते पर हाय मनुज कि विस्तार की वो सोच काट डाले सब सब पेड़,सब कुछ दिया "नोच" आज यहां पर गाड़ियां चलती हैं बच्चों को अब "आईया" देखती है यहां पर तो कोई अब "जानवर" नहीं है ये अब मनुज के सर्वार्थ का शहर है इन ऊंची इमारतों में अब "हैवान" रहते हैं लोग बड़े शौक से इन्हे "इमारतें" कहते हैं... ये ऊँची इमारतें... #ऊँचीइमारतें #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi