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सर्द हवाओ से डरी सहमी मेरी बंद खिड़कियाँ , ओस की बू

सर्द हवाओ से डरी सहमी मेरी बंद खिड़कियाँ ,
ओस की बूंदों में जकड़ी मेरे गुलाब की वो पंखडियाँ,
नम लकडियों से निकलती ठिठुरती आग , 
बलखाते होठों पर डोलते अलफ़ाज़,
बदन पर वसन जैसे कफ़न ,
फिसलते कागजो पर जकड़े हाथों से चलती कलम,
ऐसे में सन्नाटों को चुप कराने,
मुझे बिस्तर पर बेसुध कराने,
खिडकी पर चमकती दस्तक हुई,
मेरे ठंडे फर्श पर,अर्श से गिरी किरण नत मस्तक हुई,
एक बूंद गिरी सूरज की बदन पर,और मै पिघल गया,
खिडकियाँ फिर खुल गई,गुलाब फिर खिल गया ।

बादलों को चीरता,
हवाओ से भिड़ता ,
सफर लंबा था वो डरा भी नहीं,
सर्द हवाओं से घिरा भी नहीं,
जमीं महबूबा थी उसकी,वो गिर गया कदमों पे उसके माशूक सा,
रेंग रेंग कर आया "एक तुकडा धूप का"
 #ektukdadhoopka #yqdidi #yqbaba #yqchallenge #hindi #एक_टुकड़ा_धूप_का
सर्द हवाओ से डरी सहमी मेरी बंद खिड़कियाँ ,
ओस की बूंदों में जकड़ी मेरे गुलाब की वो पंखडियाँ,
नम लकडियों से निकलती ठिठुरती आग , 
बलखाते होठों पर डोलते अलफ़ाज़,
बदन पर वसन जैसे कफ़न ,
फिसलते कागजो पर जकड़े हाथों से चलती कलम,
ऐसे में सन्नाटों को चुप कराने,
मुझे बिस्तर पर बेसुध कराने,
खिडकी पर चमकती दस्तक हुई,
मेरे ठंडे फर्श पर,अर्श से गिरी किरण नत मस्तक हुई,
एक बूंद गिरी सूरज की बदन पर,और मै पिघल गया,
खिडकियाँ फिर खुल गई,गुलाब फिर खिल गया ।

बादलों को चीरता,
हवाओ से भिड़ता ,
सफर लंबा था वो डरा भी नहीं,
सर्द हवाओं से घिरा भी नहीं,
जमीं महबूबा थी उसकी,वो गिर गया कदमों पे उसके माशूक सा,
रेंग रेंग कर आया "एक तुकडा धूप का"
 #ektukdadhoopka #yqdidi #yqbaba #yqchallenge #hindi #एक_टुकड़ा_धूप_का
namitraturi9359

Namit Raturi

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